जीवाश्म ईंधनों के लगातार उपयोग में बहुत-सी चुनौतियां आने वाली हैं। ग्लोबल वार्मिंग तथा अन्य पर्यावरण संबंधी मुद्दों से लेकर भू-राजनैतिक तथा सैन्य टकरावों और पिछले कुछ समय से ईंधन के मूल्यों में देखी जा रही लगातार तथा भारी वृद्धि तक; अक्षय (नवीकरणीय) ऊर्जा ही बढ़ती हुई ऊर्जा चुनौतियों का एकमात्र समाधान है, क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में है, अनंत है और पर्यावरण के अनुकूल है।
30 एवं 31 जुलाई 2012 को पूरे विश्व ने भारत का सबसे बड़ा पावर ब्लैकआउट देखा (दि ग्रेट इंडिया आउटेज), जो कोलकाता से लेकर नई दिल्ली तक फैला हुआ था। उत्तरी पावर ग्रिड के फेल हो जाने की वजह से यह ब्लैकआउट हुआ, जिसके चलते 70 करोड़ लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ा।
जनवरी 2015 में भारत सरकार ने अपनी सौर योजनाओं में विस्तार किया, अब सरकार का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 100 अरब अमरीकी डॉलर का निवेश तथा 100 जीडब्ल्यू की सौर क्षमता हासिल करना है। पेरिस में 2015 सीओपी21 जलवायु सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि “भविष्य में ऊर्जा के लिये दुनिया को सौर ऊर्जा को अवश्य अपनाना चाहिए। विकासशील देशों के करोड़ों लोग समृद्ध हो रहे हैं, ऐसे में संवहनीय धरती की हमारी आशा एक साहसिक, वैश्विक पहल पर टिकी हुई है।” इस पहल की तर्ज पर और पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने की अपनी प्रतिबद्धता के चलते, पारिजात इंडस्ट्रीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने हाल ही में अम्बाला, हरियाणा स्थित अपने निर्माण संयंत्र में एक सौर संयंत्र में निवेश कर, इसे स्थापित
किया है।
हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेन्सी (एचएआरईडीए) की राज्य नीति के अन्तर्गत, पारिजात इंडस्ट्रीज ने एक ग्रिड-टाइड सोलर रूफटॉप इंस्टॉल किया है, जो 450केडब्ल्यू ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम है। जहाँ एक ओर, यह हमारी फैक्टरी की 90 प्रतिशत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त है; वहीं अतिरिक्त या अप्रयुक्त बिजली को एचएआरईडीए द्वारा स्थापित की गई ग्रिड में जोड़ दिया जाएगा, जिससे पारिजात इंडस्ट्रीज के निर्माण परिसर के बाहर, आस-पास के गांव इसे उपयोग कर सकें।
जैसे-जैसे ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों के बारे में जागरुकता बढ़ रही है, अधिक से अधिक कॉर्पोरेट सौर ऊर्जा में निवेश कर रहे हैं। वैसे तो भारत में आईटी, स्टील, फार्मास्यूटिकल इत्यादि क्षेत्र के कई उद्योगों ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में पहल की है; लेकिन कृषि-रसायन के क्षेत्र में अभी मुट्ठी भर ही कम्पनियाँ हैं, जो सौर ऊर्जा उपक्रमों से जुड़ी हैं। एग्रोकेमिकल उद्योग के बड़े-बड़े कारोबारों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही पारिजात इंडस्ट्रीज की मौलिक प्रतिबद्धता है, एक हरित, अक्षय ऊर्जा स्रोत की रचना करना। साथ ही, यह वर्ष 2021 तक 100 जीडब्ल्यू सौर बिजली उत्पन्न करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता में एक छोटा-सा योगदान भी है। पारिजात इंडस्ट्रीज को वर्ष 2015 में अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण प्रबन्धन पुरस्कार भी दिया गया था।
“पारिजात इंडस्ट्रीज द्वारा प्रथम सौर ऊर्जा निर्माण क्षमता की स्थापना – जिम्मेदार पर्यावरण पद्धतियों के प्रति कम्पनी की प्रतिबद्धता की तर्ज पर है।” – विक्रम आनन्द, निदेशक
पारिजात इंडस्ट्रीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कम्पनी (एमएनसी) है, जो पौध/पादप संरक्षण उत्पादों का निर्माण एवं विक्रय करती है। विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एवं आईएसओ प्रमाणनों के साथ पारिजात इंडस्ट्रीज – मुख्यत: भारत, सी.आई.एस एवं रूस के साथ-साथ विश्व के 70 से अधिक देशों में एक गहन वितरण नेटवर्क संचालित करती है। इंडिया एग्री बिजनेस फंड II के इन्वेस्टमेन्ट एडवाइज़र्स, रैबो ईक्विटी एडवाइज़र्स ने वर्ष 2016 में एक माईनॉरिटी हिस्सेदारी के अधिग्रहण हेतु पारिजात इंडस्ट्रीज में निवेश
किया है।